लेखनी प्रतियोगिता -10-Jun-2022 खोए खोए दो दिलौ का मिलन
श्वेता आज सुहागरात की सेज पर बैठी राजीव की प्रतीक्षा कर रही थी परन्तु राजीव का कोई अता पता नही था।। श्वेता को कहीं से ढोल नगाडौ़ की आवाज सुनाई दी।
ढोल नगाडौ़ की आवाज सुनकर श्वेता ने पास वाली खिड़की को खोला तो देखा किसी की बारात निकल रही थी । दूल्हा घोडी़ पर बैठा हुआ है उसके आगे पीछे बहुत से लोग डान्स कर रहे है।
श्वेता उस बारात को देखक र अपनी पुरानी यादौ में खोगयी। उसकी सहेली की शादी थी और वह उस शादी में खूब थिरक रही थी। उसने अपनी सहेली से कहा," शारदा आजा तूभी एक दो ठुमके लगाले। "
शारदा उसके कान मे बोली," तू पागल है क्या ? लोग क्या कहैगे कि देखो दुल्हन पागल होगयी जो अपनी ही शादी में नाच रही है। हाँ मेरा बायदा रहा कि मै तेरी शादी मे तेरे जीजा के साथ ऐसा डान्स करूँगी कि तू भी याद करेगी।
उसदिन उसने भी अपनी शादी का जो सपना देखा था वह टूटगया क्यौकि उसका दूल्हा उसको लेने घोडी़ पर चढ़कर नही आया न कोई ढोल नगाडे़ बजे न किसी ने डान्स किया। न उसकी सहेली शारदा आई। यह सब अचानक क्या होगया। न जाने किसकी नजर लग गयी।
सुहागरात के लिए उसके क्या सपने थे। उसका कमरा किसी राजकुमारी की तरह सजाया जायेगा। वह फूलौ की सेज पर बैठी अपने राजकुमार की प्रतीक्षा कर रही होगी। उसका राजकुमार उसके लिए कोई बेशकीमती उपहार लेकर आयेगा।
वह मेरे कमरे में आने से पहले पूछेगा," राजकुमारीजी क्या मै अन्दर आ सकता हूँ । वह मेरी हाँ पर अन्दर आयेगा और मेरा घूँघट उठाकर मुझे आपनी बाहौ में जकड़कर मुझे प्यार करेगा। मै शरमाकर उसकी बाहौ मे ! परन्तु आज न यहाँ कोई फूलौ की सेज है न कोई कोई उपहार है ।
क्यौकि उसे राजीव के साथ भागकर शादी करनी पडी़ थी। राजीव उसके साथ कालेज में पढ़ता था। और दौनौ एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। श्वेता अपने मम्मी पापा को अपने प्यार की बात बताना चाहती थी।
लेकिन ईश्वर को कुछ और ही मन्जूर था। उसके मम्मी पापा की एक सड़क दुर्घटना में मौत होगयी। श्वेता पर दुःखौ का पहाड़ टूट पडा़ राजीव ने उसे धीरज बंधाया। उसके चाचा चाची उसे अपने साथ अपने घर लेगये।
अब उसके ऊपर चाची का आडर चलने लगा जो चाची कहती वह करो। कहाँ स्वच्छन्द घूमने वाली चिडि़या को पिंजरे में कैद करदिया । कालेज जाना भी बन्द होगया। अब उसे घरमें कैद कर दिया गया।
घर के बाहर किसी से मिलने पर भी पाबन्दी लगा दी गयी। राजीव से मिलना भी बन्द होगया। अपना दुःख किसे सुनाती कोई सुनने वाला नहीं था। उसका साथ उसकी सहेली रितिका ने दिया वह ही राजीव से बात करादेती ।
श्वेता के चाचा चाची उसकी शादी की बात करने लगे और एक दिन उसको एक लड़के राहुल के साथ मिलाया गया। श्वेता को जब राहुल ने पूछा " श्वेता मै बहुत ही खुले बिचारौ का हूँ यदि तुम्हारा कोई बाय फ्रैन्ड है तो बतादो मै हैल्प करूँगा तुम दोनौ को मिलाने की कोशिश करूँगा।
श्वेता को राहुल पर विश्वास हुआ और उहने उसको अपने दिल की बात बतादी और राहुल ने ही उन दोनौ को घर से भगाने में सहायता की यदि राहुल चाहता तब वह फसा भी देता परन्तु उसने उन दोनौ की टिकट व दिल्ली में रहने तक का इन्तजाम किया था। राहुल के कारण उसे राजीव मिल सका था। और आज राहुल के कारण ही उन दोंनौ की शादी भी होगयी थी।
श्वेता राहुल को दिल से धन्यवाद कर रही थी ।
" श्वेता कहाँ खोगयी मै कबसे आवाज देरहा हूँ तुम सुन ही नही रही हो।" तभी उसे राहुल की आवाज सुनाई पडी़।
उसी समय राजीव भी आगया और वह भी राहुल का धन्यवाद कहने लगा।
राहुल बोला," राजीव मै बहुत ही खुले बिचारौ का इन्सान हूँ मै इससे शादी कर लेता यह तो मजबूरी में मान जाती परन्तु यह पूरी जिन्दगी तुम्हारी याद में खोई रहती इसके शरीर तो पर मेरा अधिकार होसकता था परन्तु इसके मन व दिल पर तुम्हारा ही नाम लिखा रहता। इस तरह हम दोनौ कभी सुखी नही रह सकते थे। "
श्वेता बोली," सभी आप जैसी सोच के हो जाय तो प्यार करने बाले कभी जुदा नही होगै। मै दिल से यही दुआ करूँगी कि आपको जल्दी ही प्यार करने वाली मिल जाये । "
श्वेता व राजीव उसको दिल से दुआ देरहे थे।उसने खोये हुए दो दिलौ का मिलन जो करवाया था।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
10/06/2022
Shnaya
14-Jun-2022 12:55 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Kusam Sharma
12-Jun-2022 09:22 AM
Very very interested
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Seema Priyadarshini sahay
11-Jun-2022 04:58 PM
Nice story👌👌
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